पालघर विधानसभा | चुनावी रण का हुआ आगाज,कौन कौन है दावेदार, जानिए मुख्य मुद्दे और अहम फैक्टर

पालघर विधानसभा सीट जिले की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2019 में शिव सेना ने जीत दर्ज की थी। इस बार पालघर विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है। 2019 में पालघर में कुल 52.58 प्रतिशत वोट पड़े। 2019 में शिव सेना से श्रीनिवास चिंतामणि वनगा ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के योगेश शंकर नम को 40305 वोटों के मार्जिन से हराया था।
पालघर विधानसभा सीट (130) शिवसेना का गढ़ मानी जाती रही है। 2009 के चुनाव में तीन बार से लगातार जीत रही मनीषा निमकर को 22 हजार वोट के अंतर से पराजित कर कांग्रेस के राजेंद्र गावित ने इस गढ़ को ध्वस्त कर दिया था। आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में 40 पर्सेंट आदिवासियों के अतिरिक्त ओबीसी वर्ग के वोटरों की भी प्रभावशाली संख्या है। कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां अधिकतर आबादी मुस्लिमों की है। इस क्षेत्र में उत्तर भारतीयों की भी संख्या अपना विशेष स्थान रखती है।

कड़ा होगा मुकाबला

आगामी विधानसभा चुनाव मे पालघर विधानसभा मे मुकाबला कड़ा होने वाला है, इस सीट पर भाजपा, शिवसेना के दोनों गुट,शरद पवार गुट, बहुजन विकास आघाडी व कांग्रेस सभी दल नजर लगाए बैठे है. भाजपा से संतोष जनाठे की चर्चा है उधर शिंदे गुट से वर्तमान विधायक श्रीनिवास वनगा और मनीषा नीमकर का नाम लिया जा रहा तो शरद पवार गुट से काशीनाथ चौधरी फील्डिंग लगा रहे है वही उद्धव ठाकरे गुट व कांग्रेस भी इस सीट पर दावा ठोक रहे है. समय बताएगा की सीट किसके खाते मे जाएगी.

क्या है मुद्दे

देश के पहले परमाणु ऊर्जा परियोजना, तारापुर जिले मे होने के बावजूद यह क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है। सड़क, पीने के पानी की कमी, बिजली की समस्या के अलावा यहां की सबसे बड़ी समस्या है मुंबई से परिवहन संपर्क की। यहां से बहुत बड़ी संख्या में लोग काम-धंधे के लिए मुंबई आते हैं। मगर यह सफर बहुत आसान नहीं है। रेल की लोकल सेवा का विस्तार डहाणू तक कर जरूर दिया गया है, मगर यह क्षेत्र की जरूरत को देखते हुए काफी कम है। विरार-डहाणू शटल और मुंबई से गुजरात जाने वाली पैसंजर ट्रेनों की सेवा यहां के लोगों की समस्या को कुछ हद तक पूरा करती है, मगर अभी लोकल सेवा की संख्या बढ़ाने की जरूरत है।

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