जिला बनने के 10 साल बाद भी पालघर में किराये के भवनों से संचालित हो रहे शासकीय कार्यालय, खाली पड़े धूल फांक रहे प्रशासकीय भवन के दफ्तर,रेंट पर भवन देने वालो के मजे

1 अगस्त 2014 को, राज्य सरकार ने महाराष्ट्र के 36वें जिले के रूप में पालघर का गठन ठाणे जिले को विभाजित कर किया था। लेकिन दस सालों बाद पालघर जिले के कई सरकारी कार्यालय किराए के भवनों से संचालित हो रहे है। जबकि प्रशासन को सुचारू रूप चलाने के लिए बनाए गए प्रशासकीय भवन में खाली पड़े दफ्तर धूल फांक रहे है। लोग सवाल पूछ रहे है,कि जब प्रशासकीय भवन में सरकारी विभागों के लिए बनाए गए कार्यालय खाली पड़े है,तो निजी भवन किराए पर लेकर क्यों सरकारी कार्यालय चलाए जा रहे है? क्या कुछ विशेष लोगों को लाभ देने के लिए भवनों को किराए पर लिया गया है?  जिले के विकास के लिए आने वाली निधि से लाखो रुपए इन सरकारी कार्यालयों के किराए को चुकता करने में खर्च हो रही है।

पालघर जिले में सरकार की डेयरी विकास भूमि पर 100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र पर एक जिला मुख्यालय में प्रशासकीय भवन का निर्माण किया गया है, इस में जिले के 75 से अधिक विभिन्न विभागों के लिए जिला स्तरीय कार्यालयों के लिए जगह उपलब्ध कराई गई है। 

यहां पर राजस्व, जिला परिषद, पुलिस, स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के साथ-साथ कई अन्य कार्यालय शुरू है। लेकिन जिला उपभोक्ता निवारण कक्ष, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उप क्षेत्रीय कार्यालय, डेयरी कार्यालय,जल संरक्षण कार्यालय, वन उप संरक्षक कार्यालय, राज्य उत्पाद शुल्क कार्यालय, होम गार्ड कार्यालय,शिक्षा विभाग के वेतन सत्यापन और भविष्य निधि कार्यालय जैसे दस से बारह कार्यालय अभी भी निजी स्वामित्व वाले भवनों में कार्य कर रहे हैं। जिससे सरकार को हर महीने लाखों रुपए किराया निजी भवनों के मालिकों को चुकाना पड़ रहा है।

जिले के सरकारी विभागों में 35 से 45% से अधिक पद रिक्त हैं और कई विभागों के अधिकारियों को ठाणे और पालघर दोनों जिलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है,जिससे लोगों को अधिकारियों से मिलने में समयाओ का सामना करना पड़ रहा है। 

मुख्यालय परिसर के प्रशासनिक ए और प्रशासनिक बी भवनों में बने कई कार्यालय खाली पड़े है। किराए पर चल रहे सरकारी कार्यालय यहां आने के लिए तैयार ही नहीं है।

जिससे इन सभी कार्यालयों में ताला लगा हुआ है,जबकि प्रत्येक कार्यालयों में फर्नीचर और आंतरिक सजावट सामग्री पर लाखों रुपए खर्च किए गए है। लेकिन यहां सरकारी कार्यालय न खुलकर निजी भवनों से संचालित हो रहे है। जिससे ये सभी खाली पड़े कार्यालय धूल फांक रहे है।

लोगों को पड़ रहा भटकना

पालघर के प्रशासकीय भवन में सभी विभागों के जिला स्तरीय कार्यालय खोलने की योजना तैयार की गई थी। ताकि लोगों को अपने कार्यों को लेकर इधर उधर भटकना न पड़े और वे सभी विभागों के अधिकारियों से एक ही भवन में आसानी से मिलकर अपनी समयाओं की निराकरण करा सके। लेकिन आज भी कई विभागों के प्रशासकीय भवन में कार्यालय न खुलने से पालघर के दूर दराज से आने वाले लोगों खासकर आदिवासियों अपनी शिकायतो को लेकर भटकना पड़ रहा है।

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