राजनीतिक व प्रशासनिक उदासीनता का शिकार बोईसर-चिल्हार मार्ग

Boisar | चिल्हार-बोईसर मार्ग तारापुर औद्योगिक क्षेत्र को राजमार्ग से जोड़ता है,जो मौत का मार्ग बन गया है। एक सप्ताह के भीतर तीन दुर्घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गई और अन्य तीन लोग घायल हो गए हैं। पिछले वर्ष एक दर्जन लोग मारे गये तथा 20 से अधिक घायल हुए थे ।

चिल्हार -बोईसर सड़क 16.5 किलोमीटर लंबी है। यहां प्रतिदिन हजारों भारी, निजी, यात्री एवं दोपहिया वाहनों का आवागमन होता है। दो लेन वाली सड़क को आधी अधूरी चार लेन में बदलने के बाद भी दुर्घटनाओं की संख्या में कमी नहीं आई है। जगह जगह दुर्घटना संभावित क्षेत्र भी बने हुए हैं।

इस सड़क से होकर प्रतिदिन हजारों श्रमिक तारापुर एमआईडीसी, तारापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना और बीएआरसी जैसी प्रमुख परियोजनाओं के लिए यात्रा करते हैं। पहले दो लेन वाली इस सड़क के चार लेन में परिवर्तित होने के बाद भारी वाहनों की गति बढ़ गई है। सड़क के दोनों ओर अवैध रूप से भारी वाहन खड़े रहते हैं, जिससे रात के अंधेरे में ये वाहन अन्य वाहनों से टकराकर दुर्घटना का कारण बनते हैं। वाहनों से निकलने वाली बारीक बजरी और सीमेंट कंक्रीट के कारण सड़क की हालत बहुत खराब हो गई है इस मार्ग पर दुर्घटनाओं को नियंत्रित करना संभव नहीं लगता क्योंकि अनेक त्रुटियां हैं।

करोड़ों रुपये का बजट खर्च कर के भी मार्ग की स्थिति जस की तस बनी हुई है.हर रोज होते हादसों के बाद भी अधिकारी टस से मस नहीं हो रहे हैं. प्रदेश में सरकार चाहे किसी भी दल की हो पर ज़ब तक स्थानीय विधायक,सांसद इस मार्ग के लिए अपनी इच्छाशक्ति नहीं दिखाएंगे तब तक कुछ नहीं होना है.साथ ही संबधित आधिकारियों के संवेदनहीन रवैये से लोग परेशान है हर रोज हादसों के बाद भी उनका दिल नहीं पचीज रहा है.

एमआईडीसी ने 80 करोड़ रुपए की लागत से चिल्हार-बोईसर सड़क के दोहरीकरण का काम बिटकॉन इंडिया कंपनी को दिया था । हालाँकि, कंपनी द्वारा किये गए काम की गुणवत्ता बिलकुल खराब थी, मौजूदा सड़क का रखरखाव एमआईडीसी के सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा किया जा रहा है पर यहां अब तक कार्यरत अधिकारियों की मानसिकता एक अच्छी और टिकाऊ सड़क निर्माण को लेकर नहीं रही है।

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