पालघर | 60 फीट गहरे गड्ढे में JCB मशीन के साथ समा गया बेटा! घरवालों को आटे के पुतले का करना पड़ा अंतिम संस्कार.. भगवान ये दिन किसी को न दिखाए

Palghar | इस पीड़ित परिवार के लिए तो जैसे सुबह-शाम हुई ही नहीं, पिछले 8 महीने अंधेरे में ही बीते. बुजुर्ग पिता हो, पत्नी या छोटे-छोटे बच्चे सबको एक उम्मीद सी बंधी थी कि अचानक कोई करिश्मा होगा और राकेश घर आ जाएंगे.आखिर में परिवार को जो करना पड़ा, भगवान यह दिन किसी को न दिखाए. यह पढ़कर आपका दिल बैठ जाएगा. जेसीबी ऑपरेटर राकेश यादव 35 साल के थे, पिछले साल मई में महाराष्ट्र के पालघर में एक हादसे में वह अपनी मशीन के साथ दफन हो गए. उनका शव भी नहीं मिला. कुछ दिनों तक तलाशी अभियान चला लेकिन प्रशासन ने भी हाथ खड़े कर दिए. आखिर में हिंदू परंपरा के अनुसार घरवालों को आटे के पुतले का अंतिम संस्कार करना पड़ा.हालांकि अभी भी परिजनों को राकेश की बॉडी और डेथ सर्टिफिकेट का इंतजार है। आइए जान लेते हैं कि क्या है पूरा मामला।

29 मई 2024 को हुई थी दर्दनाक मौत

29 मई, 2024 को राकेश और उनकी आठ टन की खुदाई करने वाली मशीन खाई में कहीं समा गई। कंक्रीट की दीवार उसके ऊपर गिर गई और वो 60 फीट नीचे मलबे में दब गया। 35 साल के राकेश यादव की मौत जमीन खनन के दौरान हुई। वो मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण की सूर्या क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजना का हिस्सा थे।

मौत की खबर मिलते ही परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

दुर्घटना के तुरंत बाद, राष्ट्रीय आपदा राहत बल की एक टीम मौके पर पहुंची। वसई विरार नगर निगम के दमकलकर्मी और भारतीय सेना की पुणे स्थित 269 इंजीनियर रेजिमेंट के कर्मियों ने राकेश का पता लगाने के लिए अभियान शुरू किया। 30 मई को राकेश के परिवार वालों जिसमें उनके बूढ़े माता-पिता और पत्नी समेत तीन बच्चे हैं को इस बुरी खबर का पता लगा।

10 महीने बाद आटे की मूर्ति बना किया अंतिम संस्कार

राकेश के पिता 62 साल के पिता बालचंद्र ने बताया कि पंडित ने कहने पर कि शव कभी नहीं मिला, इसलिए राकेश की लंबाई के हिसाब से आटे का एक सांचा बना और उसकी तस्वीर लगा उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। ये उनके परिवार के लिए बहुत मुश्किल भरा समय रहा। बूढ़े माता-पिता को जवान बेटे के शव का अंतिम संस्कार करना पड़ा।

परिवार वालों को अब भी बॉडी और डेथ सर्टिफिकेट का इंतजार

हालांकि मौत के 10 महीनों बाद पंडित के कहने पर आटे का सांचा बना राकेश का अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन अभी भी मृत्यु प्रमाण पत्र और बॉडी का इंतजार है। हालांकि प्रशासन ने दुर्घटना के चार महीने बाद तलाशी अभियान बंद कर दिया है, लेकिन अधिकारियों ने अभी तक आधिकारिक तौर पर राकेश को मृत घोषित नहीं किया है। वहीं उनकी पत्नी ने बताया कि इस समाचार के दो महीने बाद तक वो उसी स्थान पर रहे जहां ये हादसा हुआ था।

घटना पालघर में घटी थी और यह सारी प्रक्रिया 1600 किमी दूर यूपी के आजमगढ़ में घर पर हुई. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक राकेश के पिता ने कहा कि पंडित जी ने कहा था कि पार्थिव शरीर नहीं मिलेगा तो हम राकेश की हाइट के बराबर एक पुतला तैयार कर सकते हैं. हमने आटे से बनाया और उसका ही अंतिम संस्कार किया. राकेश और उनकी 8 टन वजनी खुदाई मशीन दोनों पालघर में 60 फीट गहराई में दफन हो गए थे. उस समय जहां काम चल रहा था वहां पास की कंक्रीट की दीवार उनके ऊपर ढह गई थी. वह मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी के तहत पानी की सप्लाई के प्रोजेक्ट के लिए टनल खोद रहे थे.

हालांकि घरवालों के लिए अब भी इंतजार खत्म नहीं होगा. प्रशासन ने हादसे के 4 महीने बाद सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया था लेकिन अधिकारियों ने अभी तक आधिकारिक रूप से राकेश को मृत घोषित नहीं किया है. परिवार के एक सदस्य ने वसई में जब अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि चूंकि शव नहीं मिला है इसलिए डेथ सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सकते.पिछले साल ही महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने परिवार को 50 लाख का चेक सौंपा था. तस्वीर में देखिए परिवार के लोग और बच्चे भी दिखाई दे रहे हैं.

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