अत्यंत पावन एवं पवित्र श्रावण मास पर्व के शुभ अवसर पर प्रातःकालीन सत्र में शिव महापूजा एवं रुद्राभिषेक अद्भुत श्रद्धा और गहन भक्ति भाव से सम्पन्न हुआ।हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों ने इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लेकर आशुतोष भगवान श्री सदाशिव का आशीर्वाद प्राप्त किया। पूरा वातावरण “हर हर महादेव” के गगनभेदी जयकारों से गूंज उठा।इस भव्य अनुष्ठान में परम पूज्य स्वामी ओंकारानंद सरस्वती जी महाराज (वर्तमान में वृन्दावन में चातुर्मास कर रहे), जिनके कर-कमलों से मॉरीशस में माननीय प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में शिवलिंग की स्थापना हुई थी – ने आशीर्वचन मे उन्होंने कहा
“देश में सनातन के प्रति बढ़ती आस्था विशेष रूप से युवा वर्ग की ओर से अत्यंत प्रेरणादायी है। इसके लिए सभी साधुवाद के पात्र हैं। युवा योगीराज श्री भारत भूषण भारतेंदु जी महाराज का कार्य सनातन धर्म को आगे बढ़ाने में सराहनीय है। वह पालघर, महाराष्ट्र को अपना कार्यक्षेत्र बनाकर पूरे देश में सनातन की अलख जगा रहे हैं। उन्हें उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ।”
इसी प्रकार ब्रह्मर्षि योगीराज श्री भारत भूषण भारतेंदु जी महाराज –
संस्थापक, श्री हरि नारायण सेवा संस्थान, पालघर (मुंबई, महाराष्ट्र)
भाजपा आध्यात्मिक आघाड़ी योग प्रमुख – महाराष्ट्र प्रदेश – ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा –
“श्रावण मास शिव की भक्ति का श्रेष्ठ अवसर है। शिव ही सनातन धर्म की करुणा, त्याग और तपस्या के प्रतीक हैं। यह उत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की जीवंत धारा है।”
अनुष्ठान एवं सेवा भावना
यह दिव्य आयोजन हिमालय आदि शंकर कैलाश मानसरोवर पीठ के धर्म योग महायज्ञ विश्व अभियान के भक्तों द्वारा, स्थानीय श्रद्धालुओं एवं सेवा संस्थानों के सहयोग से भक्ति एवं उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। वहीं उत्तर प्रदेश के वाराणसी काशी के निकट त्रिलोचन महादेव में चल रही श्रद्धालुओं की सेवा में श्री हरि नारायण सेवा संस्थान के वाराणसी मंडल प्रभारी बृजेश पांडेय ‘राजन’ जी और उनके मित्र मंडल द्वारा किए जा रहे निःस्वार्थ सेवा कार्यों से क्षेत्र के लोग अत्यंत हर्षित हैं। वे यहाँ होने वाले हर आध्यात्मिक अनुष्ठान में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।सभी उपस्थित संतों, भक्तों और साधकों ने मिलकर वेद मंत्रों, रुद्राष्टाध्यायी, महामृत्युंजय मंत्र और अभिषेक स्तोत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शिव का जल, दुग्ध, घृत, मधु और बिल्वपत्र से अभिषेक किया।