पालघर जिले की बोईसर ग्रामपंचायत को नगरपरिषद का दर्जा देने के लिए सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय में एक अहम बैठक आयोजित की गई। बैठक में आसपास की कई ग्रामपंचायतों ने प्रस्ताव का विरोध जताया, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिलाधिकारी कार्यालय ने बोईसर ग्रामपंचायत क्षेत्र में नगरपरिषद गठन का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजने की तैयारी में है। और, यदि सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो अगले एक महीने के भीतर ही बोईसर नगरपरिषद के गठन की घोषणा हो सकती है।
बता दें कि यहां स्थित तारापुर औद्योगिक क्षेत्र एशिया की सबसे बड़ी औद्योगिक इकाई है, जहां 1200 से ज्यादा छोटी बड़ी कंपनियां कार्यरत हैं।
एमआईडीसी क्षेत्र में काम करने वाले लाखों श्रमिक और कर्मचारी बोईसर व आसपास की ग्रामपंचायतों — पास्थल, सालवड, शिवाजीनगर, सरावली, खैरापाडा, कोलवडे और कुंभवली — में निवास करते हैं।
तेजी से हो रहे औद्योगिकीकरण और जनसंख्या वृद्धि के बावजूद मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है:
सड़कें जर्जर और यातायात अव्यवस्थित
जल निकासी व सीवरेज की उचित व्यवस्था नहीं
कचरा प्रबंधन चरमराया
उद्यान और खेल के मैदान नहीं के बराबर
अवैध निर्माणों की भरमार
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए बोईसर क्षेत्र में नगरपरिषद का गठन समय की मांग बीस सालों से ज्यादा समय से हो रही है।
बोईसर के उपसरपंच नीलम संखे ने कहा —
“सिर्फ बोईसर ग्रामपंचायत क्षेत्र में डेढ़ लाख से ज्यादा की जनसंख्या है। आसपास की आठों ग्रामपंचायतों को मिलाकर यह आंकड़ा पांच लाख से भी अधिक हो जाता है। ऐसे में ग्रामपंचायतों के माध्यम से लोगों को पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराना अब संभव नहीं है। नगरपरिषद का गठन बोईसर के लिए जरूरी हो चुका है।”
ग्रामपंचायतों का विरोध जारी
नगरपरिषद गठन के मुद्दे पर आसपास की अधिकांश ग्रामपंचायतें विरोध में हैं। सरावली के सरपंच आनंद धोड़ी ने कहा “हमें नगरपरिषद में शामिल करने की कोई जानकारी पहले नहीं दी गई। इसलिए हमने इस प्रस्ताव का विरोध किया है।”