पालघर जिले के बोईसर में एक नाबालिग छात्र ने आत्महत्या कर ली. एक वॉइस रिकॉर्ड छोड़कर गए छात्र ने जीवन खत्म करने का कदम क्यों उठाया… क्या वाकई उसे शिक्षक और साथियो द्वारा इतना परेशान किया जा रहा था की उसने अपने आप को खत्म कर दिया? इसका जवाब तो आत्महत्या करने वाला अपने साथ ले गया पर पीछे बहुत सवाल छोड़कर गया.
जानिए पूरा मामला
यह घटनाक्रम बोईसर का है, जिसमें मृतक के माता-पिता ने शिक्षकों और साथियों पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। मृतक के परिजनों ने दावा किया है आत्महत्या से पहले उसने अपनी मां को संदेश भेजा था जिसमें उत्पीड़न का जिक्र था। मामला बोईसर के टीन्स वर्ल्ड इंग्लिश मीडियम स्कूल का है। 10वीं कक्षा के छात्र अपने घर मे फांसी लगाकर आत्महत्या की । परिजनों का आरोप है कि उत्पीड़न के कारण उनका बेटा अवसादग्रस्त हो गया था। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और पुलिस तमाम पहलुओं पर जांच कर रही है। और ये निष्पक्ष जांच इसलिए भी जरूरी है की जाने वाला तो चला गया पर आगे और कोई ऐसी अनहोनी न हो इसलिए सच तक पहुंचना जरूरी है.
स्कूल में छात्र को गलत शब्द कहने पर दोषी शिक्षक के खिलाफ कर सकते है शिकायत
अपने शिक्षकों से परेशान हैं, वे स्कूल में अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार या प्रताड़ना की ऑनलाइन या लिखित शिकायत कर सकेंगे। जांच में शिक्षक दोषी पाया जाता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी। शिकायत पर शिक्षक पर स्कूल शिक्षा विभाग उचित कदम उठा सकेगा। समय-समय पर कक्षा, परिसर या स्कूल के नजदीक छात्र-छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार, प्रताड़ना या मारपीट जैसी घटनाएं सामने आती रही हैं। शासन ने स्कूलों में छात्र-छात्राओं के साथ होने वाली अभद्रता, दुर्व्यवहार, शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना पर रोक लगाने के लिए इस तरह की शिकायत पर तत्काल कार्रवाई करें।
- राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCERT) को सीधे नोडल अधिकारी (शिकायत) को पत्र लिखकर या ईमेल भेजकर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. ईमेल आईडी है: Grievance[at]ncte[dash]india[dot]org.
- अगर स्कूल अधिकारी के पास शिकायत करने से समस्या का समाधान नहीं होता, तो ज़िले के शिक्षा अधिकारी (DEO) या ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) को शिकायत पत्र प्रस्तुत किया जा सकता है.
छात्रों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के बजाय निजी तौर पर करनी चाहिए चर्चा
शिक्षक द्वारा छात्रों के सामने किसी छात्र को अपमानित करना गलत है साथ ही बच्चे को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के बजाय निजी तौर पर चर्चा की जानी चाहिए। शिक्षक रचनात्मक कक्षा का माहौल बनाकर, छात्रों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करके, सभी छात्रों से उच्च अपेक्षाएँ रखकर और प्रत्येक छात्र की सफलता को अधिकतम करके छात्रों के साथ सकारात्मक संबंध बनाने का काम करना चाहिए.शिक्षकों और छात्रों के बीच सकारात्मक संबंध छात्रों की शिक्षा के प्रति ग्रहणशीलता को बढ़ाते हैं।
- सम्मान और गरिमा : हर छात्र को सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। किसी छात्र की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने से अपमान और शर्म की भावना पैदा हो सकती है।
- रचनात्मक प्रतिक्रिया : प्रतिक्रिया अपमानजनक होने के बजाय रचनात्मक होनी चाहिए। निजी चर्चा से अधिक सहायक और समाधान-केंद्रित बातचीत संभव होती है।
- कक्षा का वातावरण : सार्वजनिक आलोचना कक्षा में नकारात्मक माहौल पैदा कर सकती है, जिसका प्रभाव न केवल लक्षित छात्र पर बल्कि उसके सहपाठियों पर भी पड़ता है।
- व्यावसायिकता : शिक्षक आदर्श होते हैं, तथा सकारात्मक शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सभी बातचीत में व्यावसायिकता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
पेरेंट्स का बच्चों के साथ होना चाहिए दोस्ताना व्यवहार
बच्चे जब अपने माता-पिता को दोस्त समझते हैं, तो वे अपनी बातें खुलकर कह पाते हैं। इससे बच्चों को लगता है कि उनके माता- पिता उनकी बात सुनेंगे और उनकी भावनाओं को समझेंगे। दोस्ताना व्यवहार से माता-पिता और बच्चों के बीच एक मजबूत संबंध बनता है। इससे बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास बेहतर होता है। बच्चे आत्मविश्वास से भरे होते हैं और अपनी क्षमताओं पर विश्वास करते हैं। क्यों कुछ चीजें करना जरुरी है। क्योंकि, बच्चों की अपनी राय और शिकायते होती है, उन्हें सुनें और उनकी राय का सम्मान करे और उनकी प्रॉब्लम को समझे । होने बच्चों की तुलना दूसरों से न करें। समय निकाल कर बच्चों को समझने की और सुनने की कोशिश जरूर करे ताकी कुछ बाते जो आपसे कहने से डर रहा हो वो आपको बोलकर अपना मन हल्का कर सके और आप उसकी समस्या का सही समय पर निवारण कर सको.
अधिकांश प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे अप्रशिक्षित शिक्षक, विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़
शहर मे प्राइवेट स्कूलों में बच्चों से मोटी फीस वसूली जाती है, जबकि बच्चों को पढ़ाने वाले कथित शिक्षक अप्रशिक्षित हैं। कथित शब्द इसलिए प्रयोग किया है पता नहीं स्कूल संचालकों के रिकॉर्ड के अनुसार वे शिक्षक हैं भी या नहीं। यह बच्चों के भविष्य के साथ सीधे-सीधे खिलवाड़ है। ऐसे में अभिभावकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि शिक्षकों की योग्यता क्या है। यह स्थिति कुछ ही प्राइवेट स्कूलों की नहीं है, बल्कि अधिकांश स्कूलों में छात्र-छात्राओं को अप्रशिक्षिक शिक्षक पढ़ा रहे हैं। शहर से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी ज्यादा खराब है, जहां अधिकारी निरीक्षण के लिए पहुंचते ही नहीं है। प्राइवेट स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षक धड्ल्ले से पढ़ाने के पीछे मोटे-मोटे दो कारण है। पहला- अभिभावकों में जागरुकता की कमी तो दूसरा शिक्षा अधिकारियों का बेपरवाह होना।