बोईसर : D-Mart में कैसे मिलता है इतना सस्ता सामान उससे पहले जानिए मार्ट के भाव और ऑफर की गुगली कैसे उलझता है ग्राहक, पढ़े पूरी खबर

बोईसर : सस्ता सामान खरीदने के लिए आजकल लोग डीमार्ट (Dmart) जाना पसंद करते हैं। देशभर में डीमार्ट के स्टोर हैं। डीमार्ट जहां भी खुल रहा है, वहां के जमीन की कीमत भी बढ़ रही है, क्योंकि डीमार्ट एक ब्रांड है और हर किसी को लगता है कि डीमार्ट कहीं खुला है तो वहां निवेश बढ़ने वाला है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि जब दुनियाभर में महंगाई बढ़ रही है तो ऐसे में डीमार्ट सस्ते और डिस्काउंट पर सामान कैसे देता है? इसके पीछे क्या स्ट्रैटजी है और किसका दिमाग लगा है?
डीमार्ट आज जहां खड़ा है उसके पीछे इसके ओनर राधाकिशन दमानी (Radhkishan Damani) का दिमाग लगा है। राधाकिशन दमानी देश के सबसे अमीर शख्सियत में शामिल हैं। उनका नेटवर्थ 1 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। राधाकिशन दमानी सिर्फ इंटर पास हैं लेकिन उनका तेज दिमाग उनके बिजनेस के लिए वरदान है। उनके पास बिजनेस को आगे बढ़ाने का गजब का हुनर है।
शेयर मार्केट में बड़ा मुकाम पाने के बाद दमानी बिजनेस करने की सोच रहे थे। 1999 में उन्होंने पहले नेरूल की फ्रेंचाइजी ली और इसमें वे सफल नहीं हो पाए। इसके बाद उन्होंने बोरवेल बनाने का काम शुरू किया लेकिन यह काम भी नहीं चल सका। साल 2002 में मुंबई में पहला डीमार्ट स्टोर खोला और तभी तय कर लिया था कि इस स्टोर को आगे ले जाना है। इसी का नतीजा है कि आज देशभर में डीमार्ट के 300 से ज्यादा स्टोर्स हैं।
वैसे डीमार्ट का लक्ष्य रहता है की 30 दिन के अंदर स्टॉक खत्म करने और नया सामान मंगवाने का होता है। डीमार्ट कंपनियों को पेमेंट भी जल्दी करता है। इससे मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भी डीमार्ट को काफी छूट पर सामान उपलब्ध कराती हैं और इस डिस्काउंट का इस्तेमाल डीमार्ट कस्टमर्स को सस्ता सामान और डिस्काउंट देने में करता है। इससे उसकी डिमांड बढ़ती है और रेवेन्यू भी बढ़ती जाती है। पर अगर ग्राहक कुछ सामान के प्राइज की जांच करे तो पता चलेगा की रेगुलर उपयोगी सामान सस्ता तो कुछ महंगा भी नजर आएगा, सिर्फ शक़्कर, तेल, आटे का भाव देखकर अंदाजा न लगाए की सबकुछ सस्ता है, इधर के मिलने वाले ऑफरो मेँ भी ग्राहक के सामने ऐसी गुगली डाली जाती है की सभी को समझ मेँ भी नहीं आएगा .

जैसे बोईसर के dimart मेँ रविवार को कुछ सामान के प्राइज tag देखा तो पाया की रिन एडवांस डिटर्जेन्ट ( Rin advance ) 1 किलो का पेकिंग 99 रूपये मेँ उपलब्ध दिखा वही उसका 4 kg का बड़ा pack 409 रूपये का tag लगा हुआ दिखा मतलब 102.25 प्रतिकिलो के हिसाब से, ग्राहक बड़ा pack सस्ता समझकर ले लेते वहा पर हिसाब जोड़ते नहीं ठगा कर आ जाते है. इसी तरह लीज़ॉल फ्लोर क्लीनर (Lizol floor cleaner ) का रेट जाँचा तो उसमे भी झोल नजर आया, इसके एक लीटर के pack की रेट 179 रूपये लिखी हुई थी और 2 लीटर के डिब्बे पर 430 रूपये का tag नजर आया. इसके बाद ज़ब ओपन मेँ dove beauty bar साबुन के बॉक्स का ढेर देखा तो उस पर (4+1) के pack का Dmart rate 323 रूपये लिखा देखा वही इसी dove साबुन का same pack, weight (4+1) 296 रूपये का tag लगा हुआ, बस फर्क इतना था की सस्ता वाला रैक मेँ रखा हुआ था और महंगा वाला खुले मेँ ताकि ग्राहकों की नजर पड़े फट से ऑफर देखकर ट्रॉली मेँ डाल दे . अगर छानबीन करे तो इस प्रकार के कई सामान मेँ भाव फर्क देखने को मिल सकता है पर ग्राहकों के पास इतना समय होता नहीं की केलकुलेशन करे और मिलान करे . ग्राहक सिर्फ एक ही चीज देखता है एक पर एक फ्री, और किस पर कितनी छुट्टी, ग्राहक ट्रॉली भरने मेँ रहता है, देखते ही देखते थोड़ा सा जरूरी सामान लेने आने वाला ग्राहक भी बड़ी खरीदी कर लेता है पर उनका ध्यान उस पर नहीं जाता.ऐसी भी सम्भावनाओं से नकारा नहीं जा सकता है की कुछ सामान की MRP बढ़ाकर भी डिस्काउंट दिया जाता होगा .क्योंकि भारत मेँ MRP का कोई मापदंड नहीं है.

Share on:

Leave a Comment