Palghar Loksabha Election : चुनावों मे एक्टिव फिर साइलेंट मोड़ मे चले जाते है नेता,लोग बोले किसी ने पालघर का दर्द समझने की कोशिश की ही नहीं, पढ़े पूरी खबर

पालघर : मुलभुत सुविधाओं से जुझता जिला जहां शिक्षा, स्वास्थ्य व सड़क जैसी आवश्यक जरूरतों के लिए जनता तरस रही है. सरकारे बदलती रहती है चुनाव भी आते जाते रहते है पर किसी पार्टी या नेता ने कभी जिले के विकास के लिए खुद को खपाने की कोशिश नहीं की. चाहे जिले के अब तक के सांसदों के काम का लेखा जोखा टटोल लो या जिले के वर्तमान व पिछले विधायकों के काम का बहीखाता देख लो. उन सभी जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से पालघर आज ज्यो का त्यों है. यहां तक की जिले की मां जिलापंरिषद भी पिछले कई वर्षो से मिलने वाला फंड पूरा खर्च नहीं कर पा रही है, जनता काम की उम्मीद लगाए बैठी है उधर जिला परिषद को फुरसत नहीं करोड़ो का फंड वापस जा रहा है, इससे बड़ा पालघर का दुर्भाग्य क्या हो सकता है.वैसे अब जनता सब समझती है अब उन्हें भी सब स्पष्ट नजर आ रहा है की हम किसे वोट करे जिससे जिले का विकास हो सके.

नेता अनगिनत पर माटी से जुड़ाव नहीं

वैसे पालघर जिले मे नामचीन जनप्रतिनिधियों के अलावा कार्यपुरुष, विकास पुरुष, लोगो की धड़कन, दोस्तों के राजा, युवा नेतृत्व, बेबाक, बिंदास, दिलदार, गरीबो के मसीहा इस तरह के कई डिग्रियां लेकर घूमने वाले नेताओं की कोई कमी नहीं है, और जिले की भोली जनता भी उन्हें इज्जत और मांन सम्मान देने मे कोई कसर नहीं छोड़ती है. पर जिले के उत्थान व विकास के लिए जिले मे पालघर की माटी से प्रेम करने वाला कोई मसीहा नेता नजर नहीं आ रहा है.वैसे अक्सर यह देखा जाता है की आम चुनाव हो या विधानसभा चुनाव पर ज़ब ज़ब चुनाव होते है तो सभी जनप्रतिनिधि, राजनैतिक पार्टी से जुड़े सभी नेता फूल स्पीड मोड़ मे आ जाते है, जहां देखो वहां वो ही नजर आते है, और चुनाव खत्म होते ही साइलेंट मोड़ मे चले जाते है. इसलिए धीरे धीरे लोगो का भी ऐसे नेताओं से मोहभंग होने लगा है.स्थानीय नेताओं से मोहभंग का असर आम चुनाव मे जरूर दिखेगा.

सड़को का टोटा

कहने को तो पालघर जिले मे एशिया का बड़ा ओद्योगिक क्षेत्र तारापुर बोईसर है, साथ ही भारत का महत्वपूर्ण परमाणु घर भी है फिर भी उस बोईसर शहर को राष्ट्रीय राजमार्ग से अभी तक ठीक से जोड़ नहीं पाए है, पिछले 15 साल से बोईसर – चिलहार का मार्ग किश्तो किश्तो मे बनता जा रहा है फिर टूटता है, कई जाने जिसमे दुर्घटनाओ की शिकार हुई पर किसी नेता या जनप्रतिनिधि को सड़क देखना तो दूर की बात मरने वाले पर फूल चढ़ाने की फुरसत नहीं.
साथ ही आज भी जिले के कई ग्रामीण क्षेत्र मे सडके नहीं है कई क्षेत्र ऐसे है जो बारिश मे डिसकनेक्ट हो जाते है.

स्वास्थ्य व्यवस्था शून्य

जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था निजी अस्पतालो, मुंबई व गुजरात के हॉस्पिटलो पर निर्भर है, सरकारी स्वास्थ्य विभाग के भरोसे रहे तो कब जान से हाथ धोना पड़े उसकी गारंटी नहीं. अभी जिला रुग्नालय का निर्माण कार्य चालू है.जिले के बड़े ओद्योगिक क्षेत्र बोईसर मे तो सरकारी हॉस्पिटल के लिए इमारत भी नहीं है जिसके लिए न विधायक कुछ कर पाए, खेर अब तो विधायक महोदय भी सांसद बनने की तैयारी मे जूटे हुए है.

बेहाल सरकारी स्कुल

जिला परिषद व सरकारी स्कूलों का हाल तो बहुत बुरा है, जिसके चलते तो आज प्राइवेट स्कूलों का व्यापार फ्लफुल रहा है.आज जिले मे जहां पत्थर फेको वहां आपको निजी स्कुल मिल जाएगी.

जरूर पढ़े पोलखोल अगली स्टोरी – खोखले वादे व चुनावी लॉलीपॉप से नहीं हो सकता क्षेत्र का विकास

Share on:

Leave a Comment