प्रयागराज महाकुंभ 2025 के समापन के बाद भी इसकी दिव्यता और महिमा संपूर्ण विश्व में चर्चित बनी हुई है। 144 वर्षों बाद संपन्न हुए इस ऐतिहासिक महाकुंभ में 660 मिलियन (66 करोड़) से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान कर आध्यात्मिक आनंद प्राप्त किया। इस दिव्य अवसर पर महाराष्ट्र गौरव एवं धर्मयोद्धा शास्त्री धर्मप्रकाशदास जी ने भी संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित किया और अमेरिका लौटते समय पावन संगम की मिट्टी एवं जल अपने साथ लेकर गए।
शिकागो स्थित वडतालधाम पेलेटाइन में 2 मार्च 2025, रविवार को एक विशेष आध्यात्मिक सभा आयोजित की गई, जिसमें पूजनीय स्वामीजी ने महाकुंभ की महिमा, उसकी वैज्ञानिकता और आध्यात्मिक प्रभावों के बारे में श्रद्धालुओं को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया और महाकुंभ की गूढ़ रहस्यमयी शक्ति को सुनकर अपने आप को धन्य अनुभव किया। कार्यक्रम के उपरांत शास्त्री धर्मप्रकाशदास जी एवं शास्त्री मुक्तप्रकाशदास जी ने पावन संगम जल का भक्तों पर छिड़काव कर उन्हें आध्यात्मिक आशीर्वाद प्रदान किया।
ब्रह्मर्षि योगीराज भारत भूषण भारतेंदु जी महाराज के कुंभ गीत की भी गूँज रही।
इस कार्यक्रम में विशेष रूप से योगीराज से जुड़े कुंभ गीत की भी विशेष चर्चा की गई। उनके द्वारा बनाया गया यह कुंभ गीत, जो महाकुंभ की आध्यात्मिकता, सामाजिकता और सनातन संस्कृति के गौरव को प्रकट करता है, भक्तों के बीच प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
इस गीत ने प्रयागराज महाकुंभ में अपार लोकप्रियता प्राप्त की थी और अब यह वैश्विक मंचों पर भी श्रद्धालुओं की आस्था को जागृत कर रहा है। वडतालधाम में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में भी इस गीत को भावपूर्वक सुना गया, जिससे वहां उपस्थित श्रद्धालु गदगद हो गए।
शिकागो स्थित वडतालधाम पेलेटाइन में पूजनीय स्वामीजी के नेतृत्व में सनातन संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रचारित किया जा रहा है। यहाँ हर रविवार को सत्संग, भजन-कीर्तन एवं आध्यात्मिक प्रवचनों का आयोजन होता है, जिसमें 400 से अधिक भक्तजन (बालक, बालिकाएँ, पुरुष एवं महिलाएँ) भाग लेते हैं। सत्संग के उपरांत सभी भक्तों के लिए महाप्रसाद की भी व्यवस्था की जाती है।
इस आयोजन के दौरान अमेरिका में रह रहे सनातन प्रेमियों ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की मंगलकामना की। सभी भक्तों ने इन महान नेताओं के प्रति आभार प्रकट करते हुए सनातन संस्कृति के उत्थान में उनके योगदान को नमन किया।
इस पावन अवसर पर योगीराज ने स्वामी धर्मप्रकाश जी को उनके सतत सनातन सेवा कार्यों के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और भावपूर्ण विदाई दी। योगीराज ने कहा कि सनातन संस्कृति को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए ऐसे धर्मयोद्धाओं की नितांत आवश्यकता है, जो पूरी निष्ठा से धर्म प्रचार में संलग्न हैं।
स्वामी धर्मप्रकाश जी ने भी योगीराज को उनके आध्यात्मिक योगदान के लिए प्रणाम करते हुए धन्यवाद अर्पित किया और भविष्य में भी सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई।
महाकुंभ की दिव्यता अब वैश्विक स्तर पर संचारित हो रही है
महाकुंभ की इस दिव्यता को वैश्विक स्तर पर फैलाने में पूज्य संतों और गुरुओं की भूमिका अतुलनीय है। प्रयागराज के संगम का पवित्र जल अब अमेरिका की धरती पर भी सनातन संस्कृति का संदेश पहुँचा रहा है, जिससे भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं की गूंज संपूर्ण विश्व में सुनाई दे रही है।
यह आयोजन न केवल महाकुंभ के महत्व को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में सहायक रहा, बल्कि इससे भारत और भारतीय संस्कृति के प्रति प्रवासी भारतीयों का जुड़ाव और भी मजबूत हुआ।